राजनेता

"वर्तमान समय में राजनेता राजनीति नहीं व्यवसाय कर रहे हैं, यह सर्वविदित सत्य है कि प्रत्येक व्यवसायी अपने व्यक्तिगत हितों का पक्षधर होता है।"
आचार्य उदय

खुशियाँ, खुशहाली व खुशखबरी !

"खुशियाँ, खुशहाली खुशखबरी जीवन को खुशनुमा बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं इनका नियमित आदान-प्रदान हमारे जीवन का महत्वपूर्ण उद्देश्य होना चाहिये।"
आचार्य उदय

लालच

"उफ ! धन के लालच में मुझसे ये क्या हो गया, मैं अपने ही घर के दो टुकडे करने जा रहा था।"
आचार्य उदय

प्रेम व मिलन

"स्त्री पुरुष दो ईश्वरीय शक्तियां हैं जो एक-दूसरे की पूरक हैं, दोनों के परस्पर प्रेम व मिलन से ही नवीन सृजन संभव है।"
आचार्य उदय

स्रष्टिचक्र

"स्रष्टिचक्र : आत्मा, मन, तन, पृथ्वी, ब्रम्हांड, परमात्मा !"
आचार्य उदय

कडुवा झूठ

"कडुवा झूठ : किसी का नहीं दिया, पर तेरा देकर जाऊंगा।"
आचार्य उदय

सच्चाई

"शायद ! हम ईश्वर प्राप्ति का ढोंग कर रहे हैं क्योंकि सच्चाई तो यह है कि हम माया-मोह के प्रपंचों से बाहर निकलना ही नहीं चाहते।"
आचार्य उदय

परम सत्य

"दो परम सत्य : रात - दिन, आत्मा - परमात्मा, जीवन - मृत्यु, अन्धेरा - उजाला !"
आचार्य उदय

गोली-इंजेक्सन

"भ्रष्टाचार जब नासूर का रूप ले ले तथा सडांध आने लगे, तब यह समझ लेना चाहिये कि इन हालात में गोली-इंजेक्सन से इलाज संभव नहीं है।"
आचार्य उदय

समस्या

"समस्या वह नहीं जो हमारे सामने है दरअसल समस्या तो वह है जो मन में चल रही है इस समस्या का समाधान हमें सर्वप्रथम मन में ही ढूँढना चाहिये"
आचार्य उदय

सदविचार

"हमारे मन में सदविचार समय समय पर उमड़ते रहते हैं उन्हें त्वरित ही हमें रचनात्मक रूप प्रदाय कर देना चाहिये जिससे नवीन सृजन का मार्ग प्रशस्त हो।"
आचार्य उदय

लोभ व लालच

"धन-दौलत का लोभ एक मानवीय व्यवहार है तथा इंसान इस लोभ के लालच में सम्पूर्ण नैसर्गिक मानवीय मर्यादाओं का त्याग कर सिर्फ स्वयं वरन परिजनों को भी पाप का भागीदार बना लेता है।"
आचार्य उदय

यौनक्रीडा

"यौनक्रीडा में कहीं गौरव का भाव समाहित है तो कहीं गौरवान्वित होने का, किन्तु गर्व का कोई स्थान नहीं है।"
आचार्य उदय

समस्या-समाधान

"किसी भी समस्या का समाधान सर्वप्रथम हमें अपने मन में ढूँढना चाहिये और जैसे ही हमें मन में समाधान मिलेगा व्यवहारिक जीवन में समस्या का शनै शनै अंत स्वमेव होने लगेगा"
आचार्य उदय

शब्दों का जादूगर

"साहित्यकार शब्दों का जादूगर होता है वह शब्दों की ऐसी रचना करता है कि उसके शब्दों का जादू सिर्फ वर्तमान वरन भविष्य में भी क्रियाशील रहता है"
आचार्य उदय

धन-दौलत

"मैंने छल बेईमानी से इतनी धन-दौलत संग्रहित कर ली है कि चिंता के कारण रात में नींद नहीं आती, वहीं दूसरी ओर मेरे सारे परिजन बेईमान निकल गए हैं अब सोच रहा हूँ कि मुझे छल बेईमानी करने की जरुरत क्या थी !"
आचार्य उदय

चिंतन-विचार

"मैं विगत लम्बे समय से इस चिंतन-विचार में हूँ कि क्या क्या समेट सहेज कर रखा जाए जिसे जीवन उपरांत अपने साथ ले जा सकूं, किन्तु यह चिंतन-विचार जारी ही है।"
आचार्य उदय

समस्याएं

" समस्याएं मानव जीवन की महत्वपूर्ण दिनचर्याएं होती हैं हमें हर क्षण उनका सामना करने समाधान के लिए तत्पर रहना चाहिये।"
आचार्य उदय

छल व बेईमानी

"छल बेईमानी कर धनवान बना जा सकता है किन्तु स्थाई तौर पर मान, सम्मान प्रतिष्ठा प्राप्त करना कठिन है"
आचार्य उदय

प्रेम

"समर्पण की भावना सच्चे प्रेम की आधारशिला है समर्पण के बगैर सच्चे प्रेम की कल्पना करना बेईमानी है।"
आचार्य उदय

शान्ति व सुकून

"मांसिक तनाव के दौर से गुजर रहे व्यक्ति की समस्या को धीरता पूर्वक सुन कर उसे शान्ति सुकून प्रदाय करना संभव है।"
आचार्य उदय

कडुवा सच

"सच कहने में कोई बुराई नहीं है किन्तु कडुवा सच तो स्वाभाविक तौर पर कडुवा लगेगा लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं कि हम सच बोलना ही बंद कर दें।"
आचार्य उदय

यंत्र शक्ति

"यंत्र शक्ति क्या है ! यंत्र कोई अजूबा नहीं है आपके हाथ में जो "मोबाईल" है वह यंत्र है ... इस "मोबाईलनुमा" यंत्र में संचार शक्ति है जिसके माध्यम से आप दूर बैठे किसी भी व्यक्ति से बात कर सकते हैं ... किसी दूर बैठे व्यक्ति से वार्तालाप करना अपने आप में आश्चर्यजनक है ... आश्चर्य है इसलिये "तंत्र-मंत्र-यंत्र" का हिस्सा है ... मोबाईल, मोटर साईकल, रेलगाडी, हवाई जहाज, वगैरह वगैरह ... सब "यंत्र" हैं।"
आचार्य उदय

विशेष ज्ञान

"प्रत्येक वह व्यक्ति वैज्ञानिक है जिसे किसी विषय अथवा कार्य का विशेष ज्ञान है अतएव यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि दर्जी, नाऊ, कुम्हार, बढई भी वैज्ञानिक हैं।"
आचार्य उदय

मंत्री-अफसर

"जिस देश के सत्तासीन मंत्री-अफसर भ्रष्टाचार करना अपनी शान समझने लगे हों उस देश की जनता को चाहिये भ्रष्टाचारियों की पूजा-अर्चना करने लगें या फिर भ्रष्टाचारियों को जड़ से उखाड़ फेकें"
आचार्य उदय

शान्ति व लक्ष्य

"एक मन ही है जो हमें सरलता सहजता पूर्वक शान्ति प्रदान कर सकता है तथा हमें अपने लक्ष्य पर पहुंचा सकता है।"
आचार्य उदय

भ्रष्टाचार

"यदि व्यवस्थापक भ्रष्टाचार के बगैर जीवन-यापन नहीं करना चाहते तो फिर रोकथाम के लिए दिखावा करना व्यवस्था के साथ छल करना है।"
आचार्य उदय

प्रार्थना-अर्चना

"हम लम्बे समय से स्वयं को गुमराह तो कर ही रहे हैं और अब हम झूठी-मूठी दुखड़ानुमा प्रार्थना-अर्चना कर ईश्वर को गुमराह करने के प्रयास में मस्त हैं।"
आचार्य उदय

हम इस संसार के सबसे बड़े मूर्ख हैं !

"यदि हम यह जान सोच कर काम कर रहे हैं कि इस संसार से जाते समय कुछ--कुछ साथ में लेकर जायेंगे तो यह हमारी मूर्खता है तात्पर्य यह है कि हम इस संसार के सबसे बड़े मूर्ख हैं।"
आचार्य उदय

मन्त्र शक्ति

"मन में उठने वाले विचारों की तीव्रता, निरंतरता एकाग्रता मन्त्र की भांति कार्य करने लगती है तथा मन के विचार कार्य रूप में परिणित होने लगते हैं यह मन्त्र शक्ति का एक स्वाभाविक रूप है।"
आचार्य उदय

नगण्य

"यह सच है कि भ्रष्टाचार ने एक गंभीर समस्या का रूप ले लिया है किन्तु उससे भी गंभीर समस्या यह है कि इसकी रोकथाम की दिशा में प्रयास नगण्य हैं"
आचार्य उदय

बीमारी

"भ्रष्टाचार एक मांसिक बीमारी है जिसका इलाज कठोर दंडात्मक प्रक्रिया से ही संभव है।"
आचार्य उदय

दीमक

"भ्रष्टाचार एक विकराल समस्या है जो शनै शनै देश को दीमक की भांति खोखला कर रही है।"
आचार्य उदय


कुण्डलिनी शक्ति

"यह आवश्यक नहीं कि सिर्फ आँख मूंदकर ध्यान अथवा जाप करने से ही कुण्डलिनी शक्ति जागृत हो वरन किसी भी कार्य को एकाग्रचित होकर संपन्न करने के दौरान भी कुण्डलिनी शक्ति का जागृत होना संभव है।"
आचार्य उदय

ईश्वर

"ईश्वर हमारी आस्था विश्वास में वास करते हैं आस्था विश्वास के एकाग्रचित होने पर ही ईश्वर के साक्षात्कार संभव हैं।"
आचार्य उदय

प्रेम

"प्रेम वह नहीं जिसे हम जताते फिरते हैं दरअसल प्रेम तो वह है जिसे हम हर क्षण निस्वार्थ भाव से निभाते चलते हैं।"
आचार्य उदय

मन

"मन समुद्र की भांति हर क्षण हिलोरें मारते रहता है और जब कभी शांत प्रतीत होता है तब भी वह अन्दर-ही-अन्दर चलायमान रहता है।"
आचार्य उदय

राष्ट्रीय संपदा

"ईमानदार बुद्धिमान व्यक्तित्व स्वमेव राष्ट्रीय संपदा से बढ़कर होते हैं इनकी उपेक्षा देश के लिए अहितकर है।"
आचार्य उदय

कर्तव्य

"राजा, शासक, प्रधान, मुखिया का प्रथम कर्तव्य अपनी प्रजा का पालन-पोषण सुरक्षा प्रदाय करते हुए भविष्य को सुनहरा बनाने के लिए योजनाओं का निर्धारण करना है।"
आचार्य उदय

सक्षम

"इंसान अपने कर्मों से कुदरत के विधान को बदलने में एक दायरे तक सक्षम है तथा इस दायरे के पार जाने का तात्पर्य ईश्वर में विलीन हो जाना है।"
आचार्य उदय

सकारात्मकता

"मन की भावनाओं विचारधाराओं में सकारात्मकता का समावेश कर ऊर्जावान बनाया जाना संभव है।"
आचार्य उदय

पर्यावरण संरक्षण

"पर्यावरण संरक्षण में बच्चे महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन कर सकते हैं बशर्ते उन्हें समय समय पर शिक्षित, उत्साहित प्रोत्साहित किया जाए।"
आचार्य उदय

प्रकृत्ति

"प्रकृत्ति की स्वभाविकता में बदलाव का विचार करने की अपेक्षा हमें प्रकृत्ति के स्वाभाविक रूप में ही आनंद प्राप्त करना चाहिये।"
आचार्य उदय

दावा

"ये माना कि यह दावा सच्चा हो कि हमारे देश में कोई भ्रष्टाचारी नहीं है! कोई बताये फिर भ्रष्टाचार कौन कैसे कर रहा है जिससे देश की व्यवस्था दिन-व्-दिन खोखली हो रही है!!"
आचार्य उदय

उन्माद

"सफलताओं के उन्माद में इंसान यह भूल जाता है कि एक दिन उसे असफलताओं का स्वाद भी चखना पड़ सकता है।"
आचार्य उदय

भाषा

"वह दिन दूर नहीं जब सम्पूर्ण धरती पर एक ही भाषा अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में उभर कर सामने जायेगी जो हर जुबान पर बोली सुनी जायेगी।"
आचार्य उदय

ज़रा सोचिये !

"ज़रा सोचिये, क्या हम भ्रष्टाचारियों द्वारा निर्मित संचालित भ्रष्ट सिस्टम के अंग बन कर रह गए हैं !"
आचार्य उदय

महामारी

"भ्रष्टाचार एक महामारी है पर उनके लिए नहीं जो उसे देख रहे हैं वरन उनके लिए है जो उससे पीड़ित हैं।"
आचार्य उदय

स्वैच्छिक मिलन

"संभोग के लिए दो शक्तियों अर्थात व्यक्तित्व का स्वैच्छिक मिलन अर्थात समागम अत्यंत आवश्यक है स्वैच्छा के अभाव में एक-दूसरे का समान रूप से भोग करना संभव नहीं है।"

आचार्य उदय

स्वच्छता व शीतलता

"पेड़-पौधे, जल और वायु की स्वच्छता शीतलता ही हमारा स्वच्छ स्वस्थ्य पर्यावरण है।"
आचार्य उदय

बेईमानी

"भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की कल्पना करना तब तक बेईमानी है जब तक हम स्वयं भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हो जाते।"
आचार्य उदय

वर्षा व बाढ़

"अत्यधिक वर्षा बाढ़ के प्रकोप से गन्दगी सतह पर बिखर कर लम्बे समय तक पर्यावरण को दूषित करती है अतएव अविलम्ब साफ़-सफाई राहत का प्राथमिक हिस्सा होना चाहिये"
आचार्य उदय

क्रियाशीलता

"ग्राम पंचायतें, नगर पंचायतें, नगर पालिकाएं, नगर पालिका निगम एन.जी..संस्थाओं के तनिक तनिक प्रयास से पर्यावरण का स्वच्छ स्वस्थ्य रहना संभव है किन्तु इन संस्थाओं को क्रियाशील रहना आवश्यक है।"
आचार्य उदय

शिक्षा

"पर्यावरण की स्वच्छता महत्ता की शिक्षा अन्य शिक्षाओं की भांति अत्यंत महत्वपूर्ण है अतएव हमें बच्चों को समय समय पर आवश्यक रूप से पर्यावरण की शिक्षा देते रहना चाहिये।"
आचार्य उदय

प्राथमिकता

"दूषित पर्यावरण सिर्फ हमारे वरन गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी हानिकारक है अतएव स्वच्छ स्वस्थ्य पर्यावरण हमारी प्राथमिकता होना चाहिये।"
आचार्य उदय

शर्म

"यह अत्यंत शर्म की बात है कि हम ही पर्यावरण को अप्रत्यक्ष रूप से दूषित कर रहे हैं और हम ही प्रत्यक्ष रूप से दूषित पर्यावरण के शिकार हैं।"
आचार्य उदय

साफ़-सफाई

" आस-पास, गली-मोहल्लों, चौक-चौराहों में पडा कूडा-करकट निसंदेह पर्यावरण को दूषित कर रहा है, क्या साफ़-सफाई के लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं !"
आचार्य उदय

पर्यावरण हितैषी

"पर्यावरण को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए हमें कदम कदम पर जागरुक रहकर पर्यावरण हितैषी बनकर निसंकोच स्वच्छता बनाए रखने में योगदान प्रदान करना चाहिये"
आचार्य उदय

पर्यावरण

"पर्यावरण जितना ज्यादा स्वच्छ, स्वस्थ्य ऊर्जावान रहेगा, उतना ही ज्यादा हमारा मन और तन खुशहाल क्रियाशील रहेगा।"
आचार्य उदय

फूल-पौधे

"खुशबूदार फूल-पौधों की बहुलता से पर्यावरण खुशनुमा रहता है अत: हमें आसपास फूल-पौधों के रोपण रखरखाव पर विशेष ध्यान देना चाहिये"
आचार्य उदय

पशु-पक्षी

"मृत पशु-पक्षियों को लावारिस स्थिति में सार्वजनिक स्थान पर छोड़ अथवा फेंक देने से भी पर्यावरण दूषित होता है अत: उनका अंतिम संस्कार सुव्यवस्थित ढंग से करना भी हमारा कर्तव्य है।"
आचार्य उदय

वृक्षारोपण

"वृक्षों की अधिकता से पर्यावरण स्वमेव स्वच्छ मनभावन हो जाता है अत: स्वच्छ स्वस्थ्य पर्यावरण के लिए वृक्षारोपण अत्यंत आवश्यक हैं।"
आचार्य उदय

दूषित पर्यावरण

"धूल, धुआं, कचरा, गन्दगी, बदबू मिलकर पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं पर्यावरण का साफ़-सुथरा रहना मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।"
आचार्य उदय

पर्यावरण

"पर्यावरण से तात्पर्य हमारे आसपास, चारों ओर फैले अर्थात बिखरे प्राकृतिक वातावरण से है पर्यावरण जितना स्वच्छ मनभावन रहेगा हम उतने ही खुशहाल स्वस्थ्य रहेंगे।"
आचार्य उदय

प्रदूषण

"प्रदूषण धीमे जहर की भांति शनै शनै पर्यावरण को दूषित कर रहा है जो मानव प्रजाति पृथ्वी के लिए सदा सदा के लिए अहितकर है।"
आचार्य उदय

शिक्षा

"शिक्षा का विकास व विस्तार देश, समाज व् संस्कृति के हित में सर्वोपरी है हमें हर क्षण इस दिशा में क्रियाशील रहना चाहिये।"
आचार्य उदय

स्त्री-पुरुष

"सिर्फ स्त्री-पुरुष का समागम रत होकर एक-दूसरे का भोग करना संभोग नहीं है वरन नदी का सागर में मिलन आत्मा का परमात्मा से मिलन अर्थात समागम भी संभोग है"
आचार्य उदय

संभोग

"संभोग से तात्पर्य दो शक्तियों अथवा व्यक्तित्व का आपस में स्वैच्छिक मिलन अर्थात समागम रत होकर एक-दूसरे का सामान रूप से भोग करने से है।"

आचार्य उदय

शोषण

"कमजोर दिल के इंसान हालात मजबूरियों के कारण असहाय होकर शोषण का शिकार बन जाते हैं किन्तु दृढ निश्चय कर लेने से शोषण से बचा जा सकता है।"

आचार्य उदय

गरीब

"गरीब वह नहीं जो रूखी-सूखी रोटी खाकर सो रहा है गरीब वह है जिसके पास छप्पन-भोग तो हैं पर बीमारियों की वजह से खाए बगैर सो रहा है।"

आचार्य उदय

परीक्षा

"कठिन पलों में सिर्फ अपनों की परीक्षा होती है वरन हमें भी अपनों के समक्ष परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ता है।"

आचार्य उदय

अहितकर

"ईमानदार मेहनतकश लोगों को नजर अंदाज करना विकासशील व्यवस्था देश के लिए अहितकर है।"

आचार्य
उदय

गुनहगार

"पाप कर्मों से कमाई गई दौलत के हिस्से को दान-पुण्य में लगाने से हम दिखावे के लिए धर्मात्मा बन सकते है किन्तु सत्य तो यही रहेगा की हम ईश्वर की नज़रों में गुनहगार हैं।"
आचार्य उदय

चापलूसी व जी-हुजूरी

"चापलूसी जी-हुजूरी के माध्यम से भी शिखर पर पहुँचना संभव है इसके लिए इंसान का ईमानदार मेहनतकश होना आवश्यक नहीं है।"
आचार्य उदय

सरल व सहज

"छल, कपट, बेईमानी जैसे कठिन मार्ग पर चलकर इंसान को जीतने का प्रयास करने से बेहतर है प्रेम व समर्पण रूपी मार्ग पर चलकर इंसान को जीतना सरल व सहज है।"
आचार्य उदय

ऊर्जा

"मन की भावनाएं सदैव ऊर्जावान होती हैं हमें ऊर्जाओं में समाहित शक्तियों को पहचान कर ग्रहण करने के लिए एकाग्रचित होने की आवश्यकता है।"
आचार्य उदय

ऊर्जा

"उत्साह व जिज्ञासा जीवन में अत्यंत आवश्यक हैं जो नियमित ऊर्जा का संचार बनाए रखने में सहायक व उपयोगी हैं।"
आचार्य उदय

शान्ति

"शान्ति का संबंध मांसिक संतोष से है शान्ति के लिए धन, संपदा, बैभव का होना आवश्यक नहीं है।"
आचार्य उदय

चरमोत्कर्ष

"नाम,यश,कीर्ति, सुख,सम्रद्धि,धन,बैभव,संपदा का संगम सफलता का चरमोत्कर्ष है।"
आचार्य उदय

भ्रष्टाचार

"मैं जैसे जैसे भ्रष्टाचार की सीमाएं तोड़ रहा था ठीक वैसे वैसे ही मेरे परिजन शिष्टाचार की मर्यादाएं तोड़ रहे थे, अंत में मैंने पाया कि दौलतें व बच्चे दोनों ही मेरे हाथ से निकल गए।"
आचार्य उदय

मन

"मन समुद्र की भांति है जहां अद्भुत शक्तियों का भंडारण है जिसमें डुबकी लगाकर किसी भी क्षण कुछ न कुछ प्राप्त किया जाना संभव है।"
आचार्य उदय

धन

"धन का एकत्रीकरण बैंक अथवा अलमारियों में होने की अपेक्षा सौन्दर्यीकरण व विकास के क्षेत्र में होने से हम जीवन काल में उसका आनंद प्राप्त कर सकते हैं।"
आचार्य उदय

माता-पिता

"माता-पिता ने हमारे लिए क्या किया - क्या नहीं किया यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हमने उनके लिए क्या किया और क्या कर रहे हैं।"
आचार्य उदय

शिक्षा

"मौन रहकर हम जो शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं संभव है हम वह शिक्षा चर्चा-परिचर्चा के माध्यम से भी न प्राप्त कर सकें।"
आचार्य उदय

समाज व व्यवस्था

"समाज व व्यवस्था से अधिकाधिक अपेक्षाएं रखने के स्थान पर यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि समाज व व्यवस्था के रूप में हमारा क्या योगदान है।"
आचार्य उदय

समय

"समय के साथ चलना भलमनसाहत का कार्य है किन्तु समय को भी तप से अपने अनुकूल किया जा सकता है।"

आचार्य उदय

ध्यान

"मन समुद्री लहरों की भांति हर पल हिलोरे मारते रहता है उसे एक दिशा प्रदाय कर उस पर चलते रहना ही ध्यान है।"

आचार्य उदय

पारदर्शिता व तत्परता

"कार्यशैली में पारदर्शिता तत्परता का समावेश करने से भ्रष्टाचार की संभावना लगभग समाप्त हो जायेगी। "

आचार्य उदय

विजय

"मुश्किलें लम्बे समय तक परेशान कर सकती हैं किन्तु विजय धैर्यवान परिश्रमी व्यक्ति की सुनिश्चित होती है।"

आचार्य उदय

झूठा

"आँखों देखा कानों सुना भी झूठा हो सकता है, संभव है लक्ष्य दिग्भ्रमित करने का सुनिश्चित हो। "

आचार्य उदय

दौलत

"दौलत वह नहीं जो हमें चैन से सोने नहीं देती, दौलत तो वह है जो सदैव हमारे चेहरों पर मुस्कान-सी खिली रहती है। "

आचार्य उदय

सुख-शान्ति

" मन की भावनाएं पावन पवित्र रहने से सुख-शान्ति का मार्ग सहज सरल हो जाता है। "

आचार्य उदय

प्रीत

" प्रीत का संबंध मन से है जो मन को भावन लगने लगे समझ लीजिये वह ही सच्ची प्रीत है। "

आचार्य उदय

हार-जीत

" हार-जीत के क्षण सुख-दुख से परिपूर्ण होते हैं किन्तु इन पलों में भविष्य की रणनीति समाहित रहती है। "

आचार्य उदय

व्यक्तित्व

" आचरण में दिखावे की भावना का संचार उचित नहीं है क्योंकि दिखावे की नीति हमारे व्यक्तित्व को भ्रष्ट बनाती है। "

आचार्य उदय

बुराईयाँ

"समाज में व्याप्त बुराईयों को मिटाने के साथ साथ हमें अपने अन्दर जन्म ले रहीं बुराईयों का भी नाश करना आवश्यक है।"

आचार्य उदय

माँ

"ममतामयी माँ की छाँव में शीतलता-ही-शीतलता तथा क्रोधाग्नि रूपी माँ के स्वरूप में ज्वाला-ही-ज्वाला प्रगट होती है ये रूप एक माँ के ही दो स्वरूप होते हैं ।"

आचार्य उदय

सदैव पूज्यनीय

"जन्म देने वाली माँ एवं पालन पोषण करने वाली माँ दोनों का स्वरूप एक ही है तथा दोनों ही सदैव पूज्यनीय हैं ।"

आचार्य उदय

क्रोध

"एक माँ ही है जिसका क्रोध भी प्रेम स्नेह से परिपूर्ण होता है ।"

आचार्य उदय

पाठशाला

"माँ स्वमेव एक पाठशाला है जहां से हम प्रेम, स्नेह, मधुरता, सहनशीलता समर्पण की शिक्षा प्राप्त करते हैं।"

आचार्य उदय

प्रेम व स्नेह

"छल, प्रपंच, झूठ, फरेव दिखावे का व्यवहार माँ के समक्ष उचित नहीं है ऐसा व्यवहार हमें माँ के प्रेम स्नेह से वंचित रखता है।"

आचार्य उदय

मेहनत व प्रार्थना

"माँ जीवन भर हमारे पालन-पोषण खुशहाली के लिए मेहनत प्रार्थना करती रही, क्या आज हमारा यही फर्ज है कि हम उसे दूर कर दें या उससे दूर हो जाएं ?"

आचार्य उदय

प्रथम पूज्यनीय

"माता-पिता सिर्फ जन्मदाता हैं वरन प्राथमिक गुरु व पालनहार भी हैं इसलिए वे ही प्रथम पूज्यनीय हैं।"

आचार्य उदय

माँ का आशिर्वाद

"माँ के निर्देशों को जो बच्चे अक्षरस: पालन करते हैं उनके लिए माँ का आशीर्वाद व दुआएं अजर-अमर हैं ।"

आचार्य उदय

'सुरक्षा कवच'

"माँ सिर्फ ममता का रूप नहीं है वरन स्वमेव एक 'सुरक्षा कवच' है।"

आचार्य उदय

द्वैषपूर्ण भाव

"इंसान कितना भी मधुर व्यवहार के प्रदर्शन का प्रयास कर ले किन्तु उसके अन्दर छिपे द्वैषपूर्ण भाव परिलक्षित हो ही जाते हैं।"
आचार्य उदय

राष्ट्र

"राष्ट्र सर्वोपरी है, हमारी भावनाएं, विचारधाराएं, सदैव ही राष्ट्र के प्रति समर्पित होनी चाहिये।"

आचार्य उदय

अतीत

"अतीत वह नहीं जो गुजर गया वरन अतीत वह है जो हमारी यादों में ज़िंदा है।"

आचार्य उदय

उजाले की किरण

"हम अंधेरे में उजाले की किरण बन सकते हैं बशर्ते हमारा आचरण व्यवहार व्यक्तिगत होकर सामाजिक हो।"

आचार्य उदय

विरोध प्रदर्शन

"यह आवश्यक नहीं कि विरोध प्रदर्शन चीख-चिल्ला कर ही किया जाए, मौन रहकर किया गया विरोध बेहद प्रभावशाली कारगर होता है।"

आचार्य उदय

आदर्श

"मौखिक रूप से शिक्षा देने के स्थान पर व्यवहारिक आचरण के माध्यम से शिक्षित करना स्वमेव एक आदर्श है।"

आचार्य उदय

अनमोल

"मान, मर्यादा प्रतिष्ठा अनमोल है जिसके समक्ष दुनिया की सारी दौलत छोटी पड़ जाती है।"

आचार्य उदय

मूलभूत आवश्यकताएं

"शान्ति, सौहार्द्र, भाईचारा, मिलनसारिता सदभावनापूर्ण आचरण मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं हैं।"

आचार्य उदय

संपत्ति

"भ्रष्टाचार पाप कर्मों से अर्जित संपत्ति निसंदेह इंसान को धनाढय बनाती है किन्तु यही संपत्ति परिजनों को संस्कार विहीन भी बना देती है।"

आचार्य उदय

सच्ची मित्रता

"सच्ची मित्रता वह नहीं जो मित्र की पुकार का इंतज़ार करे, सच्ची मित्रता तो वह है जो चीख सुनने पर ही मदद को दौड़ पड़े।"

आचार्य उदय

मित्रता

"मित्र बनना अथवा बनाना सहज सरल है किन्तु मित्रता का निर्वहन कठिन है।"

आचार्य उदय

घमंड

"घमंड में चूर व्यक्ति सदैव ही स्वयं को श्रेष्ठ समझता है किन्तु वह यह भूल जाता है कि श्रेष्ठता घमंड से कोसों दूर होती है।"

आचार्य उदय

पारदर्शी

"सच का एक रूप पारदर्शी होना भी है जो होता तो अक्सर सामने है पर दिखाई नहीं देता।"

आचार्य उदय

सच्चा धर्म

"मानवता मानवीय संवेदना का मधुर समर्पित रूप ही हमारा सच्चा धर्म है ।"

आचार्य उदय

शान्ति व सौहार्द्र

"शान्ति व सौहार्द्र का वातावरण जीवन को खुशनुमा बनाता है हमें सदैव शान्ति व सौहार्द्र का पक्षधर रहना चाहिये।"

आचार्य उदय

सुख और दुख

"सुख और दुख के पल सदैव परीक्षा के पल होते हैं दुख के पलों में हम अपनों की और सुख के पलों में अपने हमारी सूक्ष्म परीक्षा लेते हैं।"

आचार्य उदय

रचनात्मक कार्य

"भाग्य के भरोसे अथवा दुर्भाग्य के कारण हाथ-पे-हाथ रखकर बैठना उचित नहीं है कुछ--कुछ रचनात्मक कार्य अवश्य करते रहें।"

आचार्य उदय

जीवन-यापन

"वर्त्तमान परिस्थितियों में सिद्धांतों आदर्शों के बलबूते शांतिपूर्ण ढंग से जीवन-यापन कर पाना कठिन परिक्षा से कम नहीं है।"

आचार्य उदय

व्यक्तित्व

"व्यवहार में सरलता वाणी में मधुरता इंसान के व्यक्तित्व को शिखर पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं ।"

आचार्य उदय

शिक्षा

"शिक्षा किसी भी उम्र में प्राप्त की जा सकती है किन्तु लगन होना आवश्यक है।"

आचार्य उदय

विज्ञान

"विज्ञान से तात्पर्य विशेष ज्ञान से है सिर्फ हवाई जहाज बनाने वाले ही वैज्ञानिक नहीं है वरन कला व साहित्य का सृजन करने वाले भी वैज्ञानिक हैं।"

आचार्य उदय

कठोर परिक्षा

"धार्मिक होना और धार्मिक सिद्धांतों का मूल रूप में पालन करना एक कठोर परिक्षा से कम नहीं है।"

आचार्य उदय

कलाकार

"कलाकार सारा जीवन कला को समर्पित कर देता है,प्रोत्साहन व पुरूस्कार के क्षण उसके समर्पण भाव को न सिर्फ सम्मानित वरन ऊर्जा भी प्रदान करते हैं।"

आचार्य उदय

भाषा

"यह आवश्यक नहीं कि मातृभाषा, क्षेत्र भाषा, राष्ट्र भाषा, अंतर्राष्ट्रीय भाषा, सब एक ही हो किन्तु यह नितांत आवश्यक है कि एक भाषा ऐसी अवश्य हो जो एक-दूसरे को जानने-समझने में सहायक हो।"

आचार्य उदय

आस्थाएं

"ईश्वर का संबंध इंसान की आस्थाओं से होता है व्यवहारिक धर्म-कर्म के दौरान हुईं अनियमितताएं प्रतिफल में बाधक नहीं हो सकतीं।"

आचार्य उदय

अजर-अमर

"जिस प्रकार नदी बहते हुए अंत में सागर में विलीन हो जाती है ठीक उसी प्रकार इंसान भी भक्ति मार्ग पर चलते हुए ईश्वर में विलीन हो कर अजर-अमर हो जाता है।"

आचार्य उदय

ईश्वर

" श्रष्टि की सम्पूर्ण रचना ईश्वर के नियंत्रण में है, हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि ईश्वर हमें देख रहा है ।"

आचार्य उदय

बल प्रदर्शन

"कमजोर असहाय लोगों के समक्ष बल का प्रदर्शन बलशाली होने का प्रतीक नहीं है।"

आचार्य उदय

विश्वासघात

"विश्वासघात एक कठोर आघात है जो क्षम्य होकर सदैव ही दंडनीय है।"

आचार्य उदय

भक्ति

"निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति सदैव ही फलदायी होती है।"

आचार्य उदय

खुशियाँ

"खुशियाँ वो नहीं जो दिखाई देती हैं खुशियाँ वो होती हैं जिन्हें हम महसूस करते हैं।"

आचार्य उदय

गुरु

"गुरु सिर्फ वह नहीं जो हमें प्रत्यक्ष रूप में शिक्षा देता है गुरु वह भी है जिससे हम अप्रत्यक्ष रूप में कुछ सीख लेते हैं।"

आचार्य उदय

खेल भावना

"हार-जीत खेल के सर्वाधिक सुखद दुखद पहलु होते हैं किन्तु खेल भावना सर्वोपरी है।"

आचार्य उदय

हीन भावना

"हीन भावना से ग्रसित व्यक्ति सदैव ही सदभावना के स्थान पर दुर्भावना पूर्ण कृत्य को महत्त्व देता है।"

आचार्य उदय

मित्रता

"सदभावना पूर्ण आचार-विचार मित्रता के नैसर्गिक गुण हैं।"

आचार्य उदय

प्रेम

"निस्वार्थ भाव समर्पण ही सच्चा प्रेम है।"

आचार्य उदय

दया और क्षमा

"दुर्भावनापूर्ण नियती से कार्य करने वाले दया और क्षमा के पात्र नहीं होते।"

आचार्य उदय

सतकर्म

"बड़ी बड़ी बातें करने से इंसान विशाल नहीं हो जाता, व्यवहार में किये गए सतकर्म ही इंसान को विशाल बनाते हैं"

आचार्य उदय

आस्था व विश्वास

"आस्था विश्वास के पथ पर चलकर जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करना सहज सरल है।"

आचार्य उदय

जीवन

"इंसान का जीवन नदी के सामान है जो प्रत्येक उतार-चढ़ाव को पार करते हुए अंत में सागर में समा जाती है।"

आचार्य उदय

स्वप्न

"स्वप्न भले ही स्वप्न होते हैं किन्तु वे सदैव ही अप्रत्यक्ष रूप से इंसान के भीतर ऊर्जा का संचार करते हैं ।"

आचार्य उदय

पति-पत्नी

"पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे के प्रति सिर्फ समर्पित हैं वरन कर्तव्य दायित्वों के बंधन से एक-दूसरे के पूरक भी हैं."

आचार्य उदय

पत्नी

"पत्नी जीवन संगनी होती है जो सम्पूर्ण जीवन पति के सुख-दुख में सहभागी रहती है।"

आचार्य उदय

गुलाम इंसान

"धनरूपी माया इंसान को अपना गुलाम बना लेती है तथा गुलाम इंसान का कोई सामाजिक पारिवारिक जीवन नहीं होता।"

आचार्य उदय

व्यवहार

"प्रत्येक मनुष्य स्वयं को महान मानता है किंतु वह व्यवहार मे महानता से परे होता है।"

आचार्य उदय

भाई-बहन

"भाई-बहन का प्यार जाति, धर्म, सम्प्रदाय, रंग-रूप, ऊंच-नीच, धन-दौलत के भेद-भाव से परे है जो नौंक-झौंक, तू-तू - मैं-मैं से ओत-प्रोत होता है"

आचार्य उदय

त्रुटियाँ

"मानव जीवन में त्रुटियाँ होना स्वाभाविक प्रक्रिया है किन्तु त्रुटियों की स्वीकारोक्ति में बड़प्पन है।"

आचार्य उदय

मर्यादाएं

"स्वतन्त्र होने का तात्पर्य यह नहीं है कि हमारी कोई मर्यादाएं ही नहीं हैं। "

आचार्य उदय

शत्रुता

"यदि किसी मित्र में शत्रुता के भाव परिलक्षित हो रहें हैं तो उसे शत्रु मानकर तत्काल अपने से दूर करिये क्योंकि शत्रु सदैव ही शत्रु रहता है।"

आचार्य उदय

स्वतंत्रता

"स्वतंत्रता दीपक में जल रही ज्योत के सामान है जिसे संभाल सहेज कर रखना आवश्यक है लापरवाही उपेक्षा करने से हवा का एक झोंका भी अन्धेरा कर सकता है। "

आचार्य उदय

मित्रता

" अच्छे समय में मित्रता का आंकलन करना मूर्खता है बुरे समय में ही मित्रता की सही परख संभव है । "

आचार्य उदय

संयम व सहनशीलता

"मानव जीवन के कठिन समय में संयम सहनशीलता महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।"

आचार्य उदय

समुन्दर

"बूंद-बूंद से घडा भर सकता है लेकिन नदियां व झरने ही समुन्दर बना सकते हैं।"

आचार्य उदय

धन, बल और बुद्धि

" धन, बल और बुद्धि इस संसार की अद्भुत शक्तियां हैं तीनों का अपना अपना प्रभाव महत्त्व है आपस में एक-दूसरे की तुलना करना उचित नहीं है। "

आचार्य उदय

लापरवाही व उपेक्षा

"स्वतन्त्रता दीपक में जल रही ज्योत के सामान है जिसे संभाल सहेज कर रखना आवश्यक है लापरवाही उपेक्षा करने से हवा का एक झोंका भी अन्धेरा कर सकता है। "

आचार्य उदय

स्वतंत्रता

" स्वतंत्रता का तात्पर्य स्व-निर्धारित अनुशासन का पालन करते हुए स्वछंद मर्यादित जीवन यापन करना है "

आचार्य उदय

बड़बोलापन

" बड़बोलापन इंसान को शिखर पर नहीं ले जा सकता किन्तु वह इंसान के व्यक्तित्व को तुच्छ बनाने में सहायक अवश्य बनता है। "

आचार्य उदय

मन: स्थिति

"बच्चों की मन: स्थिति का समय-समय पर आंकलन करना माता-पिता का महत्वपूर्ण दायित्व है मन: स्थिति के अनुरूप ही भविष्य की कार्य योजनाएं निर्धारित करने से परिणाम सकारात्मक हितकर प्राप्त होंगे ।"

आचार्य उदय

स्वार्थ, कपट व घमन्ड

"स्वार्थ, कपट घमन्ड से ओत-प्रोत व्यक्ति भीड से घिरा होने के बाद भी सदैव अकेला होता है। "

आचार्य उदय

ओजस्वी

" वाणी में मधुरता इंसान के व्यक्तित्व को निखारतीओजस्वी बनाती है।"

आचार्य उदय

प्रेम व स्नेह

" प्रेम स्नेह से बढ़कर इस संसार में कुछ भी नहीं है बलवान,बुद्धिमान धनाडय सभी प्रेम स्नेह के भूखे हैं ।"

आचार्य उदय

श्रेष्ठ प्रदर्शन

" खिलाडियों को अपना ध्येय हार-जीत का रखकर सदैव ही श्रेष्ठ प्रदर्शन का रखना चाहिये । "

आचार्य उदय

सलाह

" किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा दी गई सलाह को मानना अथवा मानना आपके विवेक पर निर्भर है किन्तु दी गई सलाह पर विचार अवश्य करना चाहिये। "

आचार्य उदय

घमंड

" घमंड एक नशे के समान है जिसमें चूर होकर इंसान इंसानियत भूल जाता है और उसे स्वयं के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति तुच्छ लगने लगते है किन्तु घमंड के परिणाम सदैव ही नकारात्मक होते हैं "

आचार्य उदय

कठिन कार्य

"कोई भी कार्य कठिन नहीं होता, जब हम नहीं कर पाते तो उसे कठिन मान लेते हैं |"

आचार्य उदय

सत्य का पथ

"सत्य का पथ सहज व् सरल है किन्तु इस मार्ग पर सुकून के साथ चल पाना कठिन है "

आचार्य उदय

पद की मर्यादा

पद के साथ मान, प्रतिष्ठा, संस्कार व्यवहार की गरिमा जुडी होती है इसलिये पद पर बैठा हुआ व्यक्ति, व्यक्ति होकर स्वमेव पद होता है अत: पदासीन व्यक्ति को सदैव पद की मर्यादा के अनुरुप कार्य करना चाहिये ।”

आचार्य उदय

भलमन साहत

"कर्ज लेकर किसी जोखिम वाले व्यवसाय में निवेश करना भलमन साहत का कार्य नही है।"

आचार्य उदय

कट्टरपंथ

" आधुनिकता कट्टरपंथ को समाप्त कर देगी और कट्टरपंथी देखते रह जायेंगे।"

आचार्य उदय

भूल

"अज्ञानतावश हुई भूल का सुधार अविलंब करें।"

आचार्य उदय

नियंत्रण

“जिस दिन आप एक अनुचित व अनावश्यक कार्य पर नियंत्रण करोगे उसी दिन आपको एक श्रेष्ठ व सारगर्भित मार्ग दिखाई देगा।”

आचार्य उदय

संयम

"कठिन परिस्थितियों में मुश्किलें चारों ओर से आते हुए दिखाई पड़ती हैं किन्तु संयम इन परिस्थितियों में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।"

आचार्य उदय

परिवर्तन

“ परिवर्तन के लिये सिर्फ हमारी अच्छी सोच पर्याप्त नहीं है, परिवर्तन तो व्यवहारिक कार्यों से ही संभव है।”

आचार्य उदय

सार्थकता

“हमारी अच्छी सोच की सार्थकता तब है जब हम उसे कार्यरूप में परिणित करें।”

आचार्य उदय

भ्रष्टाचार

“भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति हर क्षण भ्रष्टाचार के नये-नये उपाय ढूँढते रहता है उसके पास परिवार व समाज हित के लिये वक्त ही नही होता।”

आचार्य उदय

आस्था

"प्रत्येक मानव में 'ईश्वर' का वास है इसलिए एक-दूसरे के प्रति प्रेम सदव्यवहार की भावना रखना प्रदर्शित करना ही 'ईश्वर' के प्रति सच्ची आस्था है|"

आचार्य उदय

विकल्प

"जिनके पास विकल्प नहीं हैं उन्हे निराश नही होना चाहिये, सकारात्मक सोच व व्यवहार जारी रखें समय के बदलाव के साथ नये विकल्प स्वमेव परिलक्षित होंगे।"

आचार्य उदय

गर्व

“मुझे उस पल का इंतजार है जब मैं स्वयं पर गर्व कर सकूं।”

आचार्य उदय

आध्यात्मिक होने का तात्पर्य साधु या बाबा हो जाना नहीं है !

मानव धर्म के प्रति आस्था रखना, आध्यात्मिक विचारधारा को अपनाना, आध्यात्मिक होने का तात्पर्य साधु या बाबा हो जाना नहीं है वरन मानवता व मानवीयता को एक-दूसरे के प्रति जागृत करना है साथ ही साथ जो यह सोचते हैं या सोच रहे हैं कि वे यदि मानव धर्म के प्रति आस्था रखेंगे तो वे साधु या बाबा बन जायेंगे यह पूर्णत: गलत है।

मानव धर्म पूर्णत: एक मानव को दूसरे मानव के प्रति संवेदनशील होने व प्रेम करने की शिक्षा देता है इस संवेदना को जागृत करने के लिये किसी चोला को धारण करने की आवश्यकता नहीं है वरन आप जिस रूप में हैं उसी रूप में रहते हुये मानवीय आस्था जागृत कर सकते हैं तथा मानवता का आदर्श प्रस्तुत कर सकते हैं।

आज सर्वाधिक आवश्यकता मानवता व मानवीय द्रष्ट्रिकोण की है, एक-दूसरे के प्रति समर्पण भाव, निस्वार्थ प्रेम व सहयोग की है, कोई अपना-पराया नहीं है, हम सब एक हैं, यह ही मानव धर्म है।
जय गुरुदेव

आचार्य उदय

सफलताएँ

“सफलताएँ उनके कदमों को चूमतीं हैं जो सफलताओं की ओर कदम बढाते हैं”

आचार्य उदय