जीवन

"इंसान का जीवन नदी के सामान है जो प्रत्येक उतार-चढ़ाव को पार करते हुए अंत में सागर में समा जाती है।"

आचार्य उदय

1 comment:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

जय हो अमृतवाणी सुनके धन्य हुए महाराज्।

कितना मेहनत करते हैं आप,

सैल्युट है आपको।