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आचार्य जी
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
राजनेता
"
वर्तमान
समय
में
राजनेता
राजनीति
नहीं
व्यवसाय
कर
रहे
हैं
, यह सर्वविदित सत्य है कि
प्रत्येक
व्यवसायी
अपने
व्यक्तिगत
हितों
का
पक्षधर
होता
है
।"
आचार्य उदय
खुशियाँ, खुशहाली व खुशखबरी !
"
खुशियाँ
,
खुशहाली
व
खुशखबरी
जीवन
को
खुशनुमा
बनाए
रखने
के
लिए
अत्यंत
आवश्यक
हैं
इनका
नियमित
आदान
-
प्रदान
हमारे
जीवन
का
महत्वपूर्ण
उद्देश्य
होना
चाहिये।
"
आचार्य
उदय
लालच
"
उफ
!
धन
के
लालच
में
मुझसे
ये
क्या
हो
गया
, मैं
अपने
ही
घर
के
दो
टुकडे
करने जा रहा था।"
आचार्य उदय
प्रेम व मिलन
"
स्त्री
व
पुरुष
दो
ईश्वरीय
शक्तियां
हैं
जो
एक
-
दूसरे
की
पूरक
हैं
, दोनों के परस्पर प्रेम व मिलन से ही नवीन सृजन संभव है।"
आचार्य उदय
स्रष्टिचक्र
"स्रष्टिचक्र
:
आत्मा
,
मन
,
तन
,
पृथ्वी
,
ब्रम्हांड
,
परमात्मा
!"
आचार्य
उदय
कडुवा झूठ
"कडुवा झूठ :
किसी
का
नहीं
दिया
,
पर
तेरा
दे
कर
जाऊंगा
।"
आचार्य
उदय
सच्चाई
"
शायद
!
हम
ईश्वर
प्राप्ति
का
ढोंग
कर
रहे
हैं
क्योंकि
सच्चाई
तो
यह
है
कि
हम
माया
-
मोह
के
प्रपंचों
से
बाहर
निकलना
ही
नहीं
चाहते
।"
आचार्य
उदय
परम सत्य
"दो
परम
सत्य
:
रात
-
दिन
,
आत्मा
-
परमात्मा
,
जीवन
-
मृत्यु
,
अन्धेरा
-
उजाला
!"
आचार्य
उदय
गोली-इंजेक्सन
"
भ्रष्टाचार
जब
नासूर
का
रूप
ले
ले
तथा
सडांध
आने
लगे
,
तब
यह
समझ
लेना
चाहिये
कि
इन
हालात
में
गोली
-
इंजेक्सन
से
इलाज
संभव
नहीं
है
।"
आचार्य
उदय
समस्या
"
समस्या
वह
नहीं
जो
हमारे
सामने
है
दर
असल
समस्या
तो
वह
है
जो
मन
में
चल
रही
है
इस
समस्या
का
समाधान
हमें
सर्वप्रथम
मन
में
ही
ढूँढना
चाहिये
।
"
आचार्य
उदय
सदविचार
"
हमारे
मन
में
सदविचार
समय
समय
पर
उमड़ते
रहते
हैं
उन्हें
त्वरित
ही
हमें
रचनात्मक
रूप
प्रदाय
कर
देना
चाहिये
जिससे
नवीन
सृजन
का
मार्ग
प्रशस्त
हो
।"
आचार्य
उदय
लोभ व लालच
"
धन
-
दौलत
का
लोभ
एक
मानवीय
व्यवहार
है
तथा
इंसान
इस
लोभ
के
लालच
में
सम्पूर्ण
नैसर्गिक
व
मानवीय
मर्यादाओं
का
त्याग
कर
न
सिर्फ
स्वयं
वरन
परिजनों
को
भी
पाप
का
भागीदार
बना
लेता
है
।"
आचार्य
उदय
यौनक्रीडा
"
यौन
क्रीडा
में
कहीं
गौरव
का
भाव
समाहित
है
तो
कहीं
गौरवान्वित
होने
का
,
किन्तु
गर्व
का
कोई
स्थान
नहीं
है
।"
आचार्य
उदय
समस्या-समाधान
"
किसी
भी
समस्या
का
समाधान
सर्वप्रथम
हमें
अपने
मन
में
ढूँढना
चाहिये
और
जैसे
ही
हमें
मन
में
समाधान
मिलेगा
व्यवहारिक
जीवन
में
समस्या
का
शनै
शनै
अंत
स्वमेव
होने
लगेगा
।
"
आचार्य
उदय
शब्दों का जादूगर
"
साहित्यकार
शब्दों
का
जादूगर
होता
है
वह
शब्दों
की
ऐसी
रचना
करता
है
कि
उसके
शब्दों
का
जादू
न
सिर्फ
वर्तमान
वरन
भविष्य
में
भी
क्रियाशील
रहता
है
।
"
आचार्य
उदय
धन-दौलत
"
मैंने
छल
व
बेईमानी
से
इतनी
धन
-
दौलत
संग्रहित
कर
ली
है
कि
चिंता
के
कारण
रात
में
नींद
नहीं
आती
,
वहीं
दूसरी
ओर
मेरे
सारे
परिजन
बेईमान
निकल
गए
हैं
अब
सोच
रहा
हूँ
कि
मुझे
छल
व
बेईमानी
करने
की
जरुरत
क्या
थी
!"
आचार्य
उदय
चिंतन-विचार
"
मैं
विगत
लम्बे
समय
से
इस
चिंतन
-
विचार
में
हूँ
कि
क्या
क्या
समेट
व
सहेज
कर
रखा
जाए
जिसे
जीवन
उपरांत
अपने
साथ
ले
जा
सकूं
,
किन्तु
यह
चिंतन
-
विचार
जारी
ही
है
।"
आचार्य
उदय
समस्याएं
"
समस्याएं
मानव
जीवन
की
महत्वपूर्ण
दिनचर्याएं
होती
हैं
हमें
हर
क्षण
उनका
सामना
करने
व
समाधान
के
लिए
तत्पर
रहना
चाहिये
।"
आचार्य
उदय
छल व बेईमानी
"
छल
व
बेईमानी
कर
धनवान
बना
जा
सकता
है
किन्तु
स्थाई
तौर
पर
मान
,
सम्मान
व
प्रतिष्ठा
प्राप्त
करना
कठिन
है
।
"
आचार्य
उदय
प्रेम
"
समर्पण
की
भावना
सच्चे
प्रेम
की
आधारशिला
है
समर्पण
के
बगैर
सच्चे
प्रेम
की
कल्पना
करना
बेईमानी
है
।"
आचार्य
उदय
शान्ति व सुकून
"
मांसिक
तनाव
के
दौर
से
गुजर
रहे
व्यक्ति
की
समस्या
को
धीरता
पूर्वक
सुन
कर
उसे
शान्ति
व
सुकून
प्रदाय
करना संभव है।
"
आचार्य
उदय
कडुवा सच
"
सच
कहने
में
कोई
बुराई
नहीं
है
किन्तु
कडुवा
सच
तो
स्वाभाविक
तौर
पर
कडुवा
लगेगा
लेकिन
इसका
तात्पर्य
यह
नहीं
कि
हम
सच
बोलना
ही
बंद
कर
दें
।"
आचार्य
उदय
यंत्र शक्ति
"
यंत्र
शक्ति
क्या
है
!
यंत्र
कोई
अजूबा
नहीं
है
आपके
हाथ
में
जो
"
मोबाईल
"
है
वह
यंत्र
है
...
इस
"
मोबाईलनुमा
"
यंत्र
में
संचार
शक्ति
है
जिसके
माध्यम
से
आप
दूर
बैठे
किसी
भी
व्यक्ति
से
बात
कर
सकते
हैं
...
किसी
दूर
बैठे
व्यक्ति
से
वार्तालाप
करना
अपने
आप
में
आश्चर्यजनक
है
...
आश्चर्य
है
इसलिये
"
तंत्र
-
मंत्र
-
यंत्र
"
का
हिस्सा
है
...
मोबाईल
,
मोटर
साईकल
,
रेलगाडी
,
हवाई
जहाज
,
वगैरह
वगैरह
...
सब
"
यंत्र
"
हैं।"
आचार्य
उदय
विशेष ज्ञान
"
प्रत्येक
वह
व्यक्ति
वैज्ञानिक
है
जिसे
किसी
विषय
अथवा
कार्य
का
विशेष
ज्ञान
है
अतएव
यह
कहना
अतिश्योक्तिपूर्ण
नहीं
होगा
कि
दर्जी
,
नाऊ
,
कुम्हार
,
बढई
भी
वैज्ञानिक
हैं
।"
आचार्य
उदय
मंत्री-अफसर
"
जिस
देश
के
सत्तासीन
मंत्री
-
अफसर
भ्रष्टाचार
करना
अपनी
शान
समझने
लगे
हों
उस
देश
की
जनता
को
चाहिये
भ्रष्टाचारियों
की
पूजा
-
अर्चना
करने
लगें
या
फिर
भ्रष्टाचारियों
को
जड़
से
उखाड़
फेकें
।
"
आचार्य
उदय
शान्ति व लक्ष्य
"
एक
मन
ही
है
जो
हमें
सरलता
व
सहजता
पूर्वक
शान्ति
प्रदान
कर
सकता
है
तथा
हमें
अपने
लक्ष्य
पर
पहुंचा
सकता
है
।"
आचार्य
उदय
भ्रष्टाचार
"
यदि
व्यवस्थापक
भ्रष्टाचार
के
बगैर
जीवन
-
यापन
नहीं
करना
चाहते
तो
फिर
रोकथाम
के
लिए
दिखावा
करना
व्यवस्था
के
साथ
छल
करना
है
।"
आचार्य
उदय
प्रार्थना-अर्चना
"
हम
लम्बे
समय
से
स्वयं
को
गुमराह
तो
कर
ही
रहे
हैं
और
अब
हम
झूठी
-
मूठी
दुखड़ा
नुमा
प्रार्थना
-
अर्चना
कर
ईश्वर
को
गुमराह
करने
के प्रयास
में
मस्त
हैं
।"
आचार्य
उदय
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