भूल

"अज्ञानतावश हुई भूल का सुधार अविलंब करें।"

आचार्य उदय

नियंत्रण

“जिस दिन आप एक अनुचित व अनावश्यक कार्य पर नियंत्रण करोगे उसी दिन आपको एक श्रेष्ठ व सारगर्भित मार्ग दिखाई देगा।”

आचार्य उदय

संयम

"कठिन परिस्थितियों में मुश्किलें चारों ओर से आते हुए दिखाई पड़ती हैं किन्तु संयम इन परिस्थितियों में सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।"

आचार्य उदय

परिवर्तन

“ परिवर्तन के लिये सिर्फ हमारी अच्छी सोच पर्याप्त नहीं है, परिवर्तन तो व्यवहारिक कार्यों से ही संभव है।”

आचार्य उदय

सार्थकता

“हमारी अच्छी सोच की सार्थकता तब है जब हम उसे कार्यरूप में परिणित करें।”

आचार्य उदय

भ्रष्टाचार

“भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति हर क्षण भ्रष्टाचार के नये-नये उपाय ढूँढते रहता है उसके पास परिवार व समाज हित के लिये वक्त ही नही होता।”

आचार्य उदय

आस्था

"प्रत्येक मानव में 'ईश्वर' का वास है इसलिए एक-दूसरे के प्रति प्रेम सदव्यवहार की भावना रखना प्रदर्शित करना ही 'ईश्वर' के प्रति सच्ची आस्था है|"

आचार्य उदय

विकल्प

"जिनके पास विकल्प नहीं हैं उन्हे निराश नही होना चाहिये, सकारात्मक सोच व व्यवहार जारी रखें समय के बदलाव के साथ नये विकल्प स्वमेव परिलक्षित होंगे।"

आचार्य उदय

गर्व

“मुझे उस पल का इंतजार है जब मैं स्वयं पर गर्व कर सकूं।”

आचार्य उदय

आध्यात्मिक होने का तात्पर्य साधु या बाबा हो जाना नहीं है !

मानव धर्म के प्रति आस्था रखना, आध्यात्मिक विचारधारा को अपनाना, आध्यात्मिक होने का तात्पर्य साधु या बाबा हो जाना नहीं है वरन मानवता व मानवीयता को एक-दूसरे के प्रति जागृत करना है साथ ही साथ जो यह सोचते हैं या सोच रहे हैं कि वे यदि मानव धर्म के प्रति आस्था रखेंगे तो वे साधु या बाबा बन जायेंगे यह पूर्णत: गलत है।

मानव धर्म पूर्णत: एक मानव को दूसरे मानव के प्रति संवेदनशील होने व प्रेम करने की शिक्षा देता है इस संवेदना को जागृत करने के लिये किसी चोला को धारण करने की आवश्यकता नहीं है वरन आप जिस रूप में हैं उसी रूप में रहते हुये मानवीय आस्था जागृत कर सकते हैं तथा मानवता का आदर्श प्रस्तुत कर सकते हैं।

आज सर्वाधिक आवश्यकता मानवता व मानवीय द्रष्ट्रिकोण की है, एक-दूसरे के प्रति समर्पण भाव, निस्वार्थ प्रेम व सहयोग की है, कोई अपना-पराया नहीं है, हम सब एक हैं, यह ही मानव धर्म है।
जय गुरुदेव

आचार्य उदय

सफलताएँ

“सफलताएँ उनके कदमों को चूमतीं हैं जो सफलताओं की ओर कदम बढाते हैं”

आचार्य उदय

असंभव

“दृढ इच्छाशक्ति व मजबूत इरादों वाले जुनूनी व्यक्ति के लिये इस दुनिया में कुछ भी असंभव नही है।”

आचार्य उदय

कार्य योजनाएँ

“हमारी कार्य योजनाएँ कितनी सकारात्मक व उपयोगी हैं यह देखना भी हमारा दायित्व है।”

आचार्य उदय

अजर-अमर

“माँ के निर्देशों पर जो बच्चे चलते हैं उनके लिये माँ का आशिर्वाद व दुआएँ अजर-अमर हैं।”

आचार्य उदय

स्त्री-पुरुष

“स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं आपस में कोई छोटा-बडा नही है किसी एक के बिना समाज की कल्पना निरर्थक है।”

आचार्य उदय

भ्रष्टाचार रूपी दीमक

“भ्रष्टाचार पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक हो गया है यदि अब भी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का प्रयास नहीं किया गया तो भ्रष्टाचार दीमक की भाँति सम्पूर्ण व्यवस्था को खोखला कर देगा और सभी इसकी चपेट में आकर असहाय हो जायेंगे।”

आचार्य उदय

लेखन एक कला है

“लेखन एक कला है, शब्दों की रचना, लेख, कहानी, कविता, गजल, शेर-शायरी नवीन अभिव्यक्तियाँ होती हैं, अभिव्यक्तियों के भाव-विचार सकारात्मक अथवा नकारात्मक हो सकते हैं किंतु इन अभिव्यक्तियों के आधार पर लेखक की मन: स्थिति का आँकलन करना निरर्थक है।”

आचार्य उदय

भ्रष्टाचार

“भ्रष्टाचार से अर्जित सम्पत्ति परिजनों को पथभ्रष्ट कर देती है तथा परिवार विखण्डित होने लगता है, यह स्थिति भ्रष्टाचारी स्वयं आँखों से देखता है।”

आचार्य उदय

भाग्य

“भाग्य के भरोसे बैठना उचित नहीं है, कर्म भी भाग्य को सुनहरा बनाते हैं।”

आचार्य उदय

पौधे

“आँगन में ऎसे पौधे न लगाएं जिसमे काँटे हों, फूल हों तो ठीक है न हों तो भी ठीक है।”

आचार्य उदय

सदुपयोग

“समय व पैसे का सदुपयोग ही भविष्य को सुनहरा बनाता है।”

आचार्य उदय

आत्मसंतुष्टि

"प्रतिदिन एक ऎसा कार्य अवश्य करें जिसके परिणाम स्वरूप आत्मसंतुष्टि प्राप्त हो।"

आचार्य उदय

कल्पनाएँ

"कल्पनाएँ सदैव ही रोचक व मनभावन होती हैं।"

आचार्य उदय

धर्म - अधर्म

धर्म - अधर्म क्या है ! मानव धर्म व मानवीय द्रष्ट्रिकोण से देखें तो धर्म व अधर्म की बेहद संक्षिप्त परिभाषा है किन्तु परिणाम बेहद विस्तृत हैं, सदभावना पूर्ण ढंग से किये गये कार्य धर्म हैं तथा दुर्भावना पूर्ण ढंग से किये गये कार्य अधर्म हैं।

सदभावना पूर्ण ढंग से किये गये कार्य सदैव ही मन को शांति प्रदान करते हैं, परिणाम सकारात्मक या नकारात्मक अथवा सामान्य प्राप्त हो सकते हैं किन्तु कार्य संपादन के दौरान चारों ओर शांति व सौहार्द्र का वातावरण बना रहता है।

दुर्भावना पूर्ण ढंग से किये गये कार्य सदैव ही मन को विचलित रखते हैं, कार्य आरंभ से लेकर समापन तक मन में व्याकुलता व अनिश्चितता बनी रहती है परिणाम सकारात्मक होने के पश्चात भी मन में संतुष्टि का अभाव रहता है।

जय गुरुदेव

आचार्य उदय

व्यवहार

"प्रत्येक मनुष्य स्वयं को महान मानता है किन्तु वह व्यवहार में महानता से परे होता है।"

आचार्य उदय

सृजन

"स्त्री-पुरुष की संरचना व उत्पत्ति नवीन सृजन के द्रष्ट्रिकोण से की गई है इसलिये ही वे एक दूसरे के पूरक हैं।"

आचार्य उदय


सार्थकता

"हमारी अच्छी सोच की सार्थकता तब है जब हम उसे कार्य रूप में परिणित करें।"

आचार्य उदय

झूठी महत्वाकांक्षा

"सच्चाई छिपाकर झूठी शान के लिये दिखावे का जीवन जीना झूठी महत्वाकांक्षा है जो एक दिन मनुष्य को आत्मग्लानी के सागर में डुबोकर जीना दुस्वार कर देती है।"
आचार्य उदय

संस्कार

"मुझे विरासत में क्या मिला, शायद कुछ नहीं, पर मैं अपने बच्चों को विरासत में कुछ देना चाहता हूँ, पर क्या ? ... भ्रष्टाचार व बेईमानी से अर्जित संपत्ति या अच्छे संस्कार !"

आचार्य उदय

सपने

"सपने देखना जितना महत्वपूर्ण है उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण सपनों को साकार करने हेतु उठाए गये कदम हैं"

आचार्य उदय

समर्थक व अनुयायी

"जो लोग मेरे समर्थक व अनुयायी हैं वे हमेशा मेरी प्रसंशा करेंगे, किन्तु मुझे उन लोगों की भी आवश्यकता है जो मुझे यह बोध कराएं कि मुझसे कहां चूक हो रही है ।"

आचार्य उदय