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आचार्य जी
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
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आचार्य उदय
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सदभावना
"बिना पश्चाताप के प्रायश्चित, और बिना प्रायश्चित के सदभावना की ओर बढ़ते कदम, इंसान की दूषित मनोवृति को इंगित करता है !"
आचार्य उदय
समाधी
"संभोग अपने आप में एक समाधी है किन्तु यह सत्य बहुत कम लोग जानते, मानते, समझते हैं !"
आचार्य उदय
मंत्र
"
मंत्र
"
कोई
अजूबा
नहीं
है
...
मन
में
उठने
वाले
विचार
,
सोच
,
कल्पनाएं
,
स्मरण
ही
"
मंत्र
"
हैं!"
आचार्य
उदय
खटका-टोटका
"
किसी
भी
प्रकार
का
खटका
-
टोटका
मत
रखो
दिल
में
,
परन्तु
मन
,
तन
,
और
घर
को साफ़-सुथरा रखना
हमारा
प्राथमिक
दायित्व
व
कर्तव्य
है
!"
आचार्य
उदय
दोस्त
"
दोस्तों
तुम
खुद
से
बाहर
कब
आओगे
।
"
आचार्य
उदय
परमात्मा
"आत्मा
मन
का
भोग
करती
है
,
मन
तन
का
भोग
करता
है
,
तन
प्रकृति
का
भोग
करता
है
,
प्रकृति
ब्रम्हांड
का
भोग
करती
है
,
और
ये ब्रम्हांड
ही परमात्मा का साकार रूप है !"
आचार्य उदय
प्रार्थना और समाधी
"
प्रेम
से
बढ़कर
कोई
प्रार्थना
नहीं
,
और
सम्भोग
से
बढ़कर
कोई
समाधी
नहीं
।"
आचार्य
उदय
पूर्णता
"
संसार
में
अब
तक
कोई
इंसान
पूर्ण
नहीं
हुआ
है,
यदि
पूर्ण
हुआ
होता
तो
हम
हर
क्षण
नवीन
सृजन
व
खोज
की
ओर
अग्रसर
नहीं
होते
।"
आचार्य
उदय
सच
"
संभव
है
जो
हमें
दिखाई
दे
रहा
है
वह
सच
न
हो
,
कभी
कभी
सच
छिपा
होता
है
और
जिसे
हम
देख
रहे
होते
हैं
उसे
ही
सच
मान
लेते
हैं
!"
आचार्य
उदय
राजनेता
"
वर्तमान
समय
में
राजनेता
राजनीति
नहीं
व्यवसाय
कर
रहे
हैं
, यह सर्वविदित सत्य है कि
प्रत्येक
व्यवसायी
अपने
व्यक्तिगत
हितों
का
पक्षधर
होता
है
।"
आचार्य उदय
खुशियाँ, खुशहाली व खुशखबरी !
"
खुशियाँ
,
खुशहाली
व
खुशखबरी
जीवन
को
खुशनुमा
बनाए
रखने
के
लिए
अत्यंत
आवश्यक
हैं
इनका
नियमित
आदान
-
प्रदान
हमारे
जीवन
का
महत्वपूर्ण
उद्देश्य
होना
चाहिये।
"
आचार्य
उदय
लालच
"
उफ
!
धन
के
लालच
में
मुझसे
ये
क्या
हो
गया
, मैं
अपने
ही
घर
के
दो
टुकडे
करने जा रहा था।"
आचार्य उदय
प्रेम व मिलन
"
स्त्री
व
पुरुष
दो
ईश्वरीय
शक्तियां
हैं
जो
एक
-
दूसरे
की
पूरक
हैं
, दोनों के परस्पर प्रेम व मिलन से ही नवीन सृजन संभव है।"
आचार्य उदय
स्रष्टिचक्र
"स्रष्टिचक्र
:
आत्मा
,
मन
,
तन
,
पृथ्वी
,
ब्रम्हांड
,
परमात्मा
!"
आचार्य
उदय
कडुवा झूठ
"कडुवा झूठ :
किसी
का
नहीं
दिया
,
पर
तेरा
दे
कर
जाऊंगा
।"
आचार्य
उदय
सच्चाई
"
शायद
!
हम
ईश्वर
प्राप्ति
का
ढोंग
कर
रहे
हैं
क्योंकि
सच्चाई
तो
यह
है
कि
हम
माया
-
मोह
के
प्रपंचों
से
बाहर
निकलना
ही
नहीं
चाहते
।"
आचार्य
उदय
परम सत्य
"दो
परम
सत्य
:
रात
-
दिन
,
आत्मा
-
परमात्मा
,
जीवन
-
मृत्यु
,
अन्धेरा
-
उजाला
!"
आचार्य
उदय
गोली-इंजेक्सन
"
भ्रष्टाचार
जब
नासूर
का
रूप
ले
ले
तथा
सडांध
आने
लगे
,
तब
यह
समझ
लेना
चाहिये
कि
इन
हालात
में
गोली
-
इंजेक्सन
से
इलाज
संभव
नहीं
है
।"
आचार्य
उदय
समस्या
"
समस्या
वह
नहीं
जो
हमारे
सामने
है
दर
असल
समस्या
तो
वह
है
जो
मन
में
चल
रही
है
इस
समस्या
का
समाधान
हमें
सर्वप्रथम
मन
में
ही
ढूँढना
चाहिये
।
"
आचार्य
उदय
सदविचार
"
हमारे
मन
में
सदविचार
समय
समय
पर
उमड़ते
रहते
हैं
उन्हें
त्वरित
ही
हमें
रचनात्मक
रूप
प्रदाय
कर
देना
चाहिये
जिससे
नवीन
सृजन
का
मार्ग
प्रशस्त
हो
।"
आचार्य
उदय
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