धन-दौलत

"मैंने छल बेईमानी से इतनी धन-दौलत संग्रहित कर ली है कि चिंता के कारण रात में नींद नहीं आती, वहीं दूसरी ओर मेरे सारे परिजन बेईमान निकल गए हैं अब सोच रहा हूँ कि मुझे छल बेईमानी करने की जरुरत क्या थी !"
आचार्य उदय

1 comment:

Apanatva said...

uttam.

karmo ke bandh khud ko hee kaatne padte hai usame koi bhageedar nahee banta...........