माँ

"ममतामयी माँ की छाँव में शीतलता-ही-शीतलता तथा क्रोधाग्नि रूपी माँ के स्वरूप में ज्वाला-ही-ज्वाला प्रगट होती है ये रूप एक माँ के ही दो स्वरूप होते हैं ।"

आचार्य उदय

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

माँ तो पालनहार होती है, कितने स्वरूप हैं उसके।