ज़रा सोचिये !

"ज़रा सोचिये, क्या हम भ्रष्टाचारियों द्वारा निर्मित संचालित भ्रष्ट सिस्टम के अंग बन कर रह गए हैं !"
आचार्य उदय

3 comments:

Tausif Hindustani said...

सही कहा आपने
dabirnews.blogspot.com

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

ji haan! nikalne ka pryas bhi vyarth ja raha hai.

प्रवीण पाण्डेय said...

जब तक बाहर नहीं आते हैं, अंग ही हैं।