मन्त्र शक्ति

"मन में उठने वाले विचारों की तीव्रता, निरंतरता एकाग्रता मन्त्र की भांति कार्य करने लगती है तथा मन के विचार कार्य रूप में परिणित होने लगते हैं यह मन्त्र शक्ति का एक स्वाभाविक रूप है।"
आचार्य उदय

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

मन को त्राण दे, वह मन्त्र।