सक्षम

"इंसान अपने कर्मों से कुदरत के विधान को बदलने में एक दायरे तक सक्षम है तथा इस दायरे के पार जाने का तात्पर्य ईश्वर में विलीन हो जाना है।"
आचार्य उदय