राष्ट्रीय संपदा

"ईमानदार बुद्धिमान व्यक्तित्व स्वमेव राष्ट्रीय संपदा से बढ़कर होते हैं इनकी उपेक्षा देश के लिए अहितकर है।"
आचार्य उदय