संस्कार

"मुझे विरासत में क्या मिला, शायद कुछ नहीं, पर मैं अपने बच्चों को विरासत में कुछ देना चाहता हूँ, पर क्या ? ... भ्रष्टाचार व बेईमानी से अर्जित संपत्ति या अच्छे संस्कार !"

आचार्य उदय

9 comments:

Anonymous said...

आचार्य जी आज अच्छा लगा आपके विचारो को जानकार,अमूल्य विचार ।




ब्लागर और साहित्यकार तथा पत्रिका SADBHAVNA DRAPAN के सम्पादक गिरीश पंकज का साक्षात्कार/interview पढने के लिऐ यहा क्लिक करेँएक बार अवश्य पढेँ

Udan Tashtari said...

निश्चित ही अच्छे संस्कार..माहौल बदलेगा.

ZEAL said...

your thoughts are enriching my persona.

hem pandey said...

किसी की एक कविता याद आ गयी-
When I was young my father said
That one should try to get ahead
Today I say my young son Steven
That he will do well If he stays even.

दिगम्बर नासवा said...

कोशिश तो हर कोई अच्छे संस्कार की ही करता है

The Straight path said...

अमूल्य विचार ।

शरद कोकास said...

अद्भुत !!!

प्रवीण पाण्डेय said...

सत्यमेव जयते ।

Ravi Kant Sharma said...

प्रत्येक जीव संस्कार लेकर इस जगत में आता है, और संस्कार लेकर ही इस जगत से जाता है। सभी भौतिक वस्तुएं न तो किसी से लेता है और न ही किसी को देता है। जो कुछ भी लेता और देता दिखाई देता है वह सब संस्कारों पर आधारित होता है।