प्रार्थना-अर्चना

"हम लम्बे समय से स्वयं को गुमराह तो कर ही रहे हैं और अब हम झूठी-मूठी दुखड़ानुमा प्रार्थना-अर्चना कर ईश्वर को गुमराह करने के प्रयास में मस्त हैं।"
आचार्य उदय

2 comments:

arvind said...

swayan ko hi gumrah karane me koi safal ho sakta hai iswar ko nahi.....satya vachan.

प्रवीण पाण्डेय said...

स्वयं से ईमानदार रहें तो यह स्थिति न आयेगी।