स्वतंत्रता

"स्वतंत्रता दीपक में जल रही ज्योत के सामान है जिसे संभाल सहेज कर रखना आवश्यक है लापरवाही उपेक्षा करने से हवा का एक झोंका भी अन्धेरा कर सकता है। "

आचार्य उदय

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

सत्य वचन ...

प्रवीण पाण्डेय said...

स्वतन्त्रतता उसके सदुपयोग से ही पल्लवित रहती है।