पद की मर्यादा

पद के साथ मान, प्रतिष्ठा, संस्कार व्यवहार की गरिमा जुडी होती है इसलिये पद पर बैठा हुआ व्यक्ति, व्यक्ति होकर स्वमेव पद होता है अत: पदासीन व्यक्ति को सदैव पद की मर्यादा के अनुरुप कार्य करना चाहिये ।”

आचार्य उदय

5 comments:

Udan Tashtari said...

उत्तम विचार!!

arvind said...

bikul sahi.

सुज्ञ said...

आचरणिय आचार आचार्य जी

प्रवीण पाण्डेय said...

पद की मर्यादा व्यक्ति से बड़ी हो जाती है।

Dr.J.P.Tiwari said...

Agree with Pravin Pandey.