भोग व योग

“ भोग व योग दोनों का प्रतिफल संतुष्टि प्रदायक है किंतु भोग का प्रतिफल क्षणिक व व्यक्तिगत है और योग का प्रतिफल विस्तृत व सामाजिक है।”

आचार्य उदय


3 comments:

अरुणेश मिश्र said...

अमृत वाणी ।

arvind said...

satya vachan....प्रणाम

दिगम्बर नासवा said...

सत्य वचन गुरुदेव ... योग ही उत्तम है ....