प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !
क्या यह संभव है कि प्रतिभाएं ईश्वर हो सकती हैं, जी हां यह संभव है, इसे प्रमाणित करने हेतु हमें सर्वप्रथम ईश्वर को जानना व समझना होगा, ईश्वर एक शक्ति का नाम है जिसके लिए कुछ भी संभव या असंभव नही है वो जैसा चाहे अपनी इच्छाओं के अनुरुप व्यवस्था बना कर कार्यों को संपादित करती है या दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि जो गतिशील है वह ही ईश्वर की इच्छाएं अथवा व्यवस्थाएं हैं, और भी सरल शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि जो हो रहा है, जो चुका है, जो होने वाला है सब ईश्वर की ही माया है ।
यहां मैं यह भी स्पष्ट करना चाहूंगा कि जो विद्धान ईश्वर को नहीं मानते है अर्थात ईश्वर के अस्तित्व को नकारते हैं मैं उनसे भी सहमत हूं ... वो इसलिये कि वे विद्धान ईश्वर के अस्तित्व को तो नकार देते हैं पर जो हो रहा होता है उसे प्राकृतिक घटनाएं अथवा व्यवस्थाएं मान लेते हैं, अब मैं यहां यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि जो प्राकृतिक है वह ही तो ईश्वर है, हम प्राकृतिक कह लें या ईश्वरीय कह लें दोनों का भाव एक समान है।
प्रतिभाएं (अर्थात प्रतिभाशाली व्यक्तित्व) भी ईश्वर की भांति एक शक्ति पुंज होती हैं जो केन्द्र बिंदु बनकर अपने चारों ओर अपनी इच्छाओं के अनुरुप कार्य संपादित करा लेती हैं, जब किसी प्रतिभा की इच्छाओं व भावनाओं के अनुरुप समय चक्र कार्य संपादित करने लगे तो यह समझ लेना चाहिये कि वह प्रतिभाशाली व्यक्तित्व ही ईश्वर है अथवा उसमें ईश्वर के अंश समाहित हैं जो समय व व्यवस्थाओं को अपने अनुरुप संचालित कर रहे है।
आचार्य जी
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7 comments:
विचारणीय पोस्ट..जारी रखें.
ishwar hi hai sab khcu
बहुत ही सुन्दर, शानदार और विचारणीय पोस्ट है! उम्दा प्रस्तुती!
सादर प्रणाम
लिखते रहो . विचारपूणं लेख ।
bahut hi satik baat kahi hai aapne!
'ईश्वर एक शक्ति का नाम है'
'प्रतिभाएं (अर्थात प्रतिभाशाली व्यक्तित्व) भी ईश्वर की भांति एक शक्ति पुंज होती हैं'
'प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !'
----आचर्य जी तीनों वक्तव्य विरोधाभासी हैं---ईश्वर होना / ईश्वर की भान्ति होना दोनों में अन्तर है.
---ईश्वर यदि एक शक्ति है तो प्रश्न उठेगा , उसे कौन शक्ति देता है अर्थात उससे ऊपर भी कोई है.
---ईश्वर के बारे में भ्रमपूर्ण वक्तव्य देने से पहले वैदिक साहित्य में वर्णित ईश्वर की व्याख्या पढें, फ़िर सरल शब्दों में लिखें।
---आशा है अन्यथा न लेंगे ।
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