"वर्तमान समय में राजनेता राजनीति नहीं व्यवसाय कर रहे हैं, यह सर्वविदित सत्य है कि प्रत्येक व्यवसायी अपने व्यक्तिगत हितों का पक्षधर होता है।"
आचार्य उदय
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
"संभोग के लिए दो शक्तियों अर्थात व्यक्तित्व का स्वैच्छिक मिलन अर्थात समागम अत्यंत आवश्यक है स्वैच्छा के अभाव में एक-दूसरे का समान रूप से भोग करना संभव नहीं है।"
आचार्य उदय