प्रेम व स्नेह

" प्रेम स्नेह से बढ़कर इस संसार में कुछ भी नहीं है बलवान,बुद्धिमान धनाडय सभी प्रेम स्नेह के भूखे हैं ।"

आचार्य उदय

2 comments:

Udan Tashtari said...

जय हो!

प्रवीण पाण्डेय said...

सभी को बस यही चाहिये।