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आचार्य जी
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
स्वप्न
"
स्वप्न
भले
ही
स्वप्न
होते
हैं
किन्तु
वे
सदैव
ही
अप्रत्यक्ष
रूप
से
इंसान
के
भीतर
ऊर्जा
का
संचार
करते
हैं
।"
आचार्य
उदय
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आचार्य जी
aachaaryjee@gmail.com
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