जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
वही भक्ति का आधार है।
"निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति सदैव ही फलदायी होती है।"....satyavachan
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वही भक्ति का आधार है।
"निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति सदैव ही फलदायी होती है।"
....satyavachan
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