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आचार्य जी
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
हीन भावना
"
हीन
भावना
से
ग्रसित
व्यक्ति
सदैव
ही
सदभावना
के
स्थान
पर
दुर्भावना
पूर्ण
कृत्य
को
महत्त्व
देता
है
।"
आचार्य
उदय
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मानव धर्म
आचार्य जी
aachaaryjee@gmail.com
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