जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
ye to hai......
इन्ही क्षणों में भविष्य की रूप रेखा छिपी रहती है।
अगर सतर्क नहीं रह सकता तो अपने आप को गुरु को समर्पित करदे.यह भी नहीं कर सकता तो आस्था तो रखे ही गुरु में
Post a Comment
3 comments:
ye to hai......
इन्ही क्षणों में भविष्य की रूप रेखा छिपी रहती है।
अगर सतर्क नहीं रह सकता तो अपने आप को गुरु को समर्पित करदे.
यह भी नहीं कर सकता तो आस्था तो रखे ही गुरु में
Post a Comment