भ्रष्टाचार

“भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति हर क्षण भ्रष्टाचार के नये-नये उपाय ढूँढते रहता है उसके पास परिवार व समाज हित के लिये वक्त ही नही होता।”

आचार्य उदय

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बिल्कुल सही बात कही है।

कविता रावत said...

Aaj ke samay mein esi shishtachar kaha jane laga hai.. Ek bahut badi bidambana hai yah...