व्यवहार

"प्रत्येक मनुष्य स्वयं को महान मानता है किन्तु वह व्यवहार में महानता से परे होता है।"

आचार्य उदय

6 comments:

arvind said...

ati sundar....

HBMedia said...

sahi aur satik ...gaurtalab hai

निर्मला कपिला said...

बिलकुल सही कहा। आभार।

Ravi Kant Sharma said...

वही मनुष्य महान बन पाता हैं, जो प्रत्येक परिस्थिति में सन्तुष्ट रहता है।

सूर्यकान्त गुप्ता said...

दोहरे चरित्र की ओर इंगित करता है। सत्य वचन। आचार्य जी को नमन।

पंकज मिश्रा said...

सही कहा।