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आचार्य जी
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
सदुपयोग
“समय व पैसे का सदुपयोग ही भविष्य को सुनहरा बनाता है।”
आचार्य उदय
1 comment:
प्रवीण पाण्डेय
said...
सच है ।
July 11, 2010 at 9:11 PM
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सच है ।
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