जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
सुंदर अतिसुन्दर बधाई
बिना अमली जामा पहनाये क्या मतलब होगा सुविचारों का। प्रणाम आचार्य! सत्य वचन।
अच्छी सोच के साथ काम करने मे तरह तरह की दिक्कत आए और इससे मन हताश होने लगे तब क्या करना चाहिए ?
अतिसुन्दर
@Navin Dewanganकिसी कार्य के संपादन में नियमित रूप से दिक्कतें आ रही हों तथा मन हताश होने लगे ... इन परिस्थितियों में उक्त कार्य को कुछ समय के लिये पेंडिंग छोड देना चाहिये।
मनुष्य जीवन की सार्थकता क्रियाशीलता में नहीं है बल्कि शुद्ध विचारों में ही निहित है।
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सुंदर अतिसुन्दर बधाई
बिना अमली जामा पहनाये क्या मतलब होगा सुविचारों का। प्रणाम आचार्य! सत्य वचन।
अच्छी सोच के साथ काम करने मे तरह तरह की दिक्कत आए और इससे मन हताश होने लगे तब क्या करना चाहिए ?
अतिसुन्दर
@Navin Dewangan
किसी कार्य के संपादन में नियमित रूप से दिक्कतें आ रही हों तथा मन हताश होने लगे ... इन परिस्थितियों में उक्त कार्य को कुछ समय के लिये पेंडिंग छोड देना चाहिये।
मनुष्य जीवन की सार्थकता क्रियाशीलता में नहीं है बल्कि शुद्ध विचारों में ही निहित है।
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