जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
उत्पत्ति का ध्येय मन में सदैव लेकर चलना चाहिये, इससे पूरकता और प्रेम बढ़ेगा ।
इस भौतिक जगत में प्रत्येक वस्तु अपूर्ण है उसकी पूर्णता विलोमता से ही है।
बहुत अच्छे ... सत्य वचन ...
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उत्पत्ति का ध्येय मन में सदैव लेकर चलना चाहिये, इससे पूरकता और प्रेम बढ़ेगा ।
इस भौतिक जगत में प्रत्येक वस्तु अपूर्ण है उसकी पूर्णता विलोमता से ही है।
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