"यदि हम यह जान व सोच कर काम कर रहे हैं कि इस संसार से जाते समय कुछ-न-कुछ साथ में लेकर जायेंगे तो यह हमारी मूर्खता है तात्पर्य यह है कि हम इस संसार के सबसे बड़े मूर्ख हैं।"
आचार्य उदय
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
3 comments:
Yahee samaz men aajay to itane ghaple ghotale hee kyun hon .
Sahi kaha hai ...
khali haath jaana hai ...
यही तो विडम्बना है।
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