जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
सच है, मानव को जीतने के लिये मानवीय गुण ही चाहिये होंगे।
जय हो आचार्य जी की।ध्यान मग्न हैं लगता है फ़ोटु से।सुंदर अमृत वाणी के लिए आभार
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सच है, मानव को जीतने के लिये मानवीय गुण ही चाहिये होंगे।
जय हो आचार्य जी की।
ध्यान मग्न हैं लगता है फ़ोटु से।
सुंदर अमृत वाणी के लिए आभार
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