प्रकृत्ति

"प्रकृत्ति की स्वभाविकता में बदलाव का विचार करने की अपेक्षा हमें प्रकृत्ति के स्वाभाविक रूप में ही आनंद प्राप्त करना चाहिये।"
आचार्य उदय

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रकृति का स्वाभाविक आनन्द।

आपका अख्तर खान अकेला said...

bhaayi aek aek baat triqe se sikhaane ka nya kaamyaab andaaz he gaagr me sikh kaa saagr bhra he is andaz ke liyen mubarkbad. akhtar khan akela kota rajsthan