"मन में उठने वाले विचारों की तीव्रता, निरंतरता व एकाग्रता मन्त्र की भांति कार्य करने लगती है तथा मन के विचार कार्य रूप में परिणित होने लगते हैं यह मन्त्र शक्ति का एक स्वाभाविक रूप है।"
आचार्य उदय
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
1 comment:
मन को त्राण दे, वह मन्त्र।
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