जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
जय हो अमृतवाणी सुनके धन्य हुए महाराज्।कितना मेहनत करते हैं आप,सैल्युट है आपको।
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जय हो अमृतवाणी सुनके धन्य हुए महाराज्।
कितना मेहनत करते हैं आप,
सैल्युट है आपको।
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