" घमंड एक नशे के समान है जिसमें चूर होकर इंसान इंसानियत भूल जाता है और उसे स्वयं के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति तुच्छ लगने लगते है किन्तु घमंड के परिणाम सदैव ही नकारात्मक होते हैं "
आचार्य उदय
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
2 comments:
पूर्णतः सहमत
bilkul thik kaha aapne. puri tarah sahmat
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