"माता-पिता ने हमारे लिए क्या किया - क्या नहीं किया यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हमने उनके लिए क्या किया और क्या कर रहे हैं।"
आचार्य उदय
जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
1 comment:
कर्तव्यों को उनका स्थान मिले।
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