जाति, धर्म, संप्रदाय से परे है मानव धर्म ......... मानव धर्म की ओर बढते कदम !
अगर सतर्क नहीं रह सकता तो अपने आप को गुरु को समर्पित करदे.यह भी नहीं कर सकता तो आस्था तो रखे ही गुरु में
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अगर सतर्क नहीं रह सकता तो अपने आप को गुरु को समर्पित करदे.
यह भी नहीं कर सकता तो आस्था तो रखे ही गुरु में
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