आज मानव जीवन बेहद तेज गति से चलायमान है, प्रत्येक व्यक्ति सिर्फ़ अपने आप में मशगूल है, उसके आस-पास क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, उचित या अनुचित, इसे जानने का उसके पास समय ही नहीं है, सच कहा जाये तो मनुष्य एक मशीन की भांति क्रियाशील हो गया है।
मनुष्य जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलु हैं, सफ़लता या असफ़लता, मनुष्य की भाग-दौड इन दो पहलुओं के इर्द-गिर्द ही चलायमान रहती है, सफ़लता पर खुशियां तथा असफ़लता पर खामोशी ..... ऎसा नहीं कि जिसके पास सब कुछ है वह असफ़ल नहीं हो सकता, और ऎसा भी नहीं है कि जिसके पास कुछ भी नहीं है वह सफ़ल नहीं हो सकता।
सफ़लता क्या है, सफ़लता से यहां मेरा तात्पर्य संतुष्टि से है, दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि संतुष्टि ही सफ़लता है, संतुष्टि कैसे मिल सकती है, कहां से मिल सकती है, क्या संतुष्टि अर्थात सफ़लता का कोई मंत्र है।
आज हम सफ़लता के मूल मंत्र पर प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं, सफ़लता का मंत्र है "शरण दे दो या शरण ले लो" ... यदि आप इतने सक्षम हैं कि किसी व्यक्ति विशेष को शरण दे सकते हैं तो उसे आंख मूंद कर शरण दे दीजिये, वह हर क्षण आपकी खुशियों व संतुष्टि के लिये एक पैर पर खडा रहेगा, आपकी खुशियों को देख देख कर खुश रहेगा, और हर पल आपको खुशियां देते रहेगा ... क्यों, क्योंकि आपकी खुशियों में ही उसकी खुशियां समाहित रहेंगी ... आप ने जो उसे शरण दी है।
... या फ़िर आंख मूंद कर किसी सक्षम व्यक्ति की शरण में चले जाओ, समर्पित कर दो स्वयं को किसी के लिये, जब आप खुद को समर्पित कर दोगे तो हर पल सामने वाली की खुशी व संतुष्टि के लिये प्रयासरत रहोगे, जैसे जैसे उसे संतुष्टि व खुशियां मिलते रहेंगी वैसे वैसे आप स्वयं भी खुश होते रहोगे ... उसकी संतुष्टि में ही आपको आत्म संतुष्टि प्राप्त होते रहेगी ... क्योंकि आप जो उसकी शरण में चले गये हो।
यह मंत्र आपको शासकीय, व्यवसायिक, सामाजिक व व्यवहारिक जीवन के हर क्षेत्र में सफ़लता प्रदाय करेगा। साहित्यिक, धार्मिक, व्यवहारिक शब्दों में कहा जाये तो सफ़लता का मूल मंत्र "गुरु-शिष्य" के भावार्थ में छिपा हुआ है, कहने का तात्पर्य यह है कि आप गुरु बन कर शरण दे दो या शिष्य बन कर किसी की शरण में चले जाओ ... सफ़लता अर्थात संतुष्टि निश्चिततौर पर आपके साथ रहेगी।
जय गुरुदेव
आचार्य 'उदय'
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3 comments:
आचार्य जी प्रणाम! सफलता के सूत्र पिरोने के लिये शुक्रिया।
aapke vichar ya kahu ek tarah se adhyaatm sachmuch padhhne par shanti pradaan karte he, bas amal me laayaa jaaye to behatar he..
shanti marg kee rah dikhatee post madad karegee.....
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