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मान,
मर्यादा व प्रतिष्ठा अनमोल है जिसके समक्ष दुनिया की सारी दौलत छोटी पड़ जाती है।"
आचार्य उदय
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शान्ति,
सौहार्द्र,
भाईचारा,
मिलनसारिता व सदभावनापूर्ण आचरण मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं हैं।"
आचार्य उदय
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भ्रष्टाचार व पाप कर्मों से अर्जित संपत्ति निसंदेह इंसान को धनाढय बनाती है किन्तु यही संपत्ति परिजनों को संस्कार विहीन भी बना देती है।"
आचार्य उदय
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सच्ची मित्रता वह नहीं जो मित्र की पुकार का इंतज़ार करे,
सच्ची मित्रता तो वह है जो चीख सुनने पर ही मदद को दौड़ पड़े।"
आचार्य उदय
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मित्र बनना अथवा बनाना सहज व सरल है किन्तु मित्रता का निर्वहन कठिन है।"
आचार्य उदय
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घमंड में चूर व्यक्ति सदैव ही स्वयं को श्रेष्ठ समझता है किन्तु वह यह भूल जाता है कि श्रेष्ठता घमंड से कोसों दूर होती है।"
आचार्य उदय
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सच का एक रूप पारदर्शी होना भी है जो होता तो अक्सर सामने है पर दिखाई नहीं देता।"
आचार्य उदय
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मानवता व मानवीय संवेदना का मधुर व समर्पित रूप ही हमारा सच्चा धर्म है ।"
आचार्य उदय
"शान्ति व सौहार्द्र का वातावरण जीवन को खुशनुमा बनाता है हमें सदैव शान्ति व सौहार्द्र का पक्षधर रहना चाहिये।" आचार्य उदय
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सुख और दुख के पल सदैव परीक्षा के पल होते हैं दुख के पलों में हम अपनों की और सुख के पलों में अपने हमारी सूक्ष्म परीक्षा लेते हैं।"
आचार्य उदय
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भाग्य के भरोसे अथवा दुर्भाग्य के कारण हाथ-
पे-
हाथ रखकर बैठना उचित नहीं है कुछ-
न-
कुछ रचनात्मक कार्य अवश्य करते रहें।"
आचार्य उदय
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वर्त्तमान परिस्थितियों में सिद्धांतों व आदर्शों के बलबूते शांतिपूर्ण ढंग से जीवन-
यापन कर पाना कठिन परिक्षा से कम नहीं है।"
आचार्य उदय
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व्यवहार में सरलता व वाणी में मधुरता इंसान के व्यक्तित्व को शिखर पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते
हैं ।"
आचार्य उदय
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शिक्षा किसी भी उम्र में प्राप्त की जा सकती है किन्तु लगन होना आवश्यक है।"
आचार्य उदय
"विज्ञान से तात्पर्य विशेष ज्ञान से है सिर्फ हवाई जहाज बनाने वाले ही वैज्ञानिक नहीं है वरन कला व साहित्य का सृजन करने वाले भी वैज्ञानिक हैं।" आचार्य उदय
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धार्मिक होना और धार्मिक सिद्धांतों का मूल रूप में पालन करना एक कठोर परिक्षा से कम नहीं है।"
आचार्य उदय
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कलाकार सारा जीवन कला को समर्पित कर देता है,प्रोत्साहन व पुरूस्कार के क्षण उसके समर्पण भाव को न सिर्फ सम्मानित वरन ऊर्जा भी प्रदान करते हैं।"
आचार्य उदय
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यह आवश्यक नहीं कि मातृभाषा,
क्षेत्र भाषा,
राष्ट्र भाषा,
अंतर्राष्ट्रीय भाषा,
सब एक ही हो किन्तु यह नितांत आवश्यक है कि एक भाषा ऐसी अवश्य हो जो एक-
दूसरे को जानने-
समझने में सहायक हो।"
आचार्य उदय
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ईश्वर का संबंध इंसान की आस्थाओं से होता है व्यवहारिक धर्म-
कर्म के दौरान हुईं अनियमितताएं प्रतिफल में बाधक नहीं हो सकतीं।"
आचार्य उदय
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जिस प्रकार नदी बहते हुए अंत में सागर में विलीन हो
जाती है ठीक उसी प्रकार इंसान भी भक्ति मार्ग पर चलते हुए ईश्वर में विलीन हो
कर अजर-
अमर हो जाता है।"
आचार्य उदय
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श्रष्टि की सम्पूर्ण रचना ईश्वर के नियंत्रण में है,
हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि ईश्वर हमें देख रहा है ।"
आचार्य उदय
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कमजोर व असहाय लोगों के समक्ष बल का प्रदर्शन बलशाली होने का प्रतीक नहीं है।"
आचार्य उदय
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विश्वासघात एक कठोर आघात है जो क्षम्य न होकर सदैव ही दंडनीय है।"
आचार्य उदय
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निस्वार्थ भाव से की गई भक्ति सदैव ही फलदायी होती है।"
आचार्य उदय
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खुशियाँ वो नहीं जो दिखाई देती हैं खुशियाँ वो होती हैं जिन्हें हम महसूस करते हैं।"
आचार्य उदय
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गुरु सिर्फ वह नहीं जो हमें प्रत्यक्ष रूप में शिक्षा देता है गुरु वह भी है जिससे हम अप्रत्यक्ष रूप में कुछ सीख लेते हैं।"
आचार्य उदय
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हार-
जीत खेल के सर्वाधिक सुखद व दुखद पहलु होते हैं किन्तु खेल भावना सर्वोपरी है।"
आचार्य उदय
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हीन भावना से ग्रसित व्यक्ति सदैव ही सदभावना के स्थान पर दुर्भावना पूर्ण कृत्य को महत्त्व देता है।"
आचार्य उदय
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सदभावना पूर्ण आचार-
विचार मित्रता के नैसर्गिक गुण हैं।"
आचार्य उदय
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निस्वार्थ भाव व समर्पण ही सच्चा प्रेम है।"
आचार्य उदय