लापरवाही व उपेक्षा

"स्वतन्त्रता दीपक में जल रही ज्योत के सामान है जिसे संभाल सहेज कर रखना आवश्यक है लापरवाही उपेक्षा करने से हवा का एक झोंका भी अन्धेरा कर सकता है। "

आचार्य उदय

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